भारत माँ के बेटे हैं हम
जो रहता गंगा घाट है
दरिया सा बहता हूं मैं
समंदर सा आतुर हूँ
वक़्त की कीमत को पहचानूँ
इसीलिए मगरूर हूँ
सूर्य की किरणों सा
चमकता मेरा ललाट है
भारत माँ के बेटे हैं, हम
जो रहता गंगा घाट है
शीतलता चंद्रमा से मिली
प्रण लेने की शक्ति, अपने देवों से
हिमालय सा अडिग हूँ मैं
जो पिघलता नहीं
बारूदी मेवों से
निष्ठा मेरी अटूट है
जो तत्पर है देश की सेवा में
शक्ति अतुल्य मुझमें हीं
भक्ति अतुल्य मुझमें हीं
छमावान मैं हीं हूँ
दयावान भी मैं हीं
कल्पनावान मैं हीं हूँ
बुद्धिवान भी मैं हीं
एक वीर बस्ता है, मुझमें हीं
एक धीर बस्ता है, मुझमें हीं
जहां पे खड़े रहते हैं हम
वो लकीर बस्ता है, मुझमें हीं
एक तेज बस्ता मुझमें हीं
एक वेग बस्ता है मुझमें हीं
धर्म बस्ता मुझमें हीं
जो, मिटाता जात पात है
भारत माँ के बेटे हैं हम
जो रहता गंगा घाट है
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