जब वह मेरे करीब आ रहीं थी मेरे अंदर एक अजीब सी झुरझुरी मची हुई थी पता नही क्यो जीवन मे पहली बार किसी लड़की ने मुझे अंदर तक झकझोर कर रख दिया था मैंने तेजी से उसका पीछा करना शुरु कर दिया शाम होने को थी और ठंड के समय मे तो शाम कब हो जाती है पता भी नही चलता सड़क पर थोड़ी कम गहमा-गहमी थी|
लोग अलाव जला रहे थे लेकिन मैं कहाँ शाम और ठंड की परवाह कर रहा था मैं तो बस उसी लड़की का पीछा कर रहा था जिसने अभी कुछ देर पहले मेरे रूह को हिला कर रख दिया था !
वह लड़की तेजी से अपने गंतव्य स्थान पर चले जा रही थी और कभी-कभी पीछे मुड़ कर भी देख लिया करती थी क्योकिं मैं लगभग पाँच मिनट से उसके पीछे चल रहा था अचानक मैने देखा वह दौड़ कर किसी पतली गली में घुस गई लेकिन मैं देख नही पाया वह कौन सी गली थी फिर भी मैंने निर्णय लिया इस अगल बगल के प्रत्येक गली में खोजूंगा | लेकिन क्या फायदा ? वह तो विलुप्त हो गयी थी छन भर का सुख दे कर |
लेकिन मैं क्या करता मुझे तो उसी एक छन में सच्चा प्यार हो गया था ! मै बस हर किसी में उसी को ढूंढ रहा था लेकिन उसे मैं बहुत कोशिश कर के भी नही ढूंढ़ पाया था |
इसे भी पढ़ें: वीरान जिंदगी और हवस
मुझे लग रहा था उसके बिना मैं अधूरा हूँ मैं जी नही पाऊंगा मेरी खुबसूरत सी बोरिंग जिंदगी में वह उथल पुथल मचा के कहाँ गायब हो गयी और क्यों ? और फ़िर मेरे साथ भी वहीं एक तरफा प्यार में जो होता है वही हुआ ।
बेचारा मैं कभी मैं नहीं बन पाया सच्चा प्यार कर के भी नही ! अब लोग मुझे पागल समझते है ।
ऐसे ही कविता-कहानियों का आनंद आप हमसे facebook और twitter पर जुड़ कर भी ले सकते हैं
4,094 total views, 6 views today
3 thoughts on “कहानी : पल भर का सच्चा प्यार”