कतरा कतरा खुन का बह जाने दे
कतरा कतरा खुन का बह जाने दे
जितना भी दर्द है हमारे अंदर रह जाने दे
समंदर भी आतुर है आगोश मे भरने को
शेष है जिन्दगी अभी हम तैयार हैं हर दर्द सहने को
सफलता की सीढी हम खुद बनाएंगे
अपने जीवन में चन्दमा सा प्रकाश फैलाएंगे
सुर्य की तरह प्रकाश हमारा अपना होगा,
लड़ता रहुं मैं सदा इस दूनिया से
कभी न कभी पूरा हमारा सपना होगा
लड़ने के दौर मे गीरेंगे लड़खराएंगे
फिक्र नही हमें गिरने के बाद खुद को
संभालना सीख जाएंगे
कतरा कतरा खुन का बह जाने दे
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रचना: राहुल तिवारी
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