भई ई जनम में हमसे ना हो पाई
अमा कहने को तो कुछ भी बोल दो मुँह आगे में है और तो और इतना जबरदस्त की दूसरों के मुँह से भी बुलवा लो.
सुबह सुबह जब हम अपने घर से रोज की भाती लल्लन की चाय के दुकान के लिए रवाना हो रहे थे की हमारी धर्मपत्नी बोलती है आज तो तुम्हरा खाना नहीं बनाएँगे ना??
मैं तो भैया आश्चर्य में डूब गया अमा इसको सुबह सुबह क्यों दिल का दौरा पड़ने लगा!
वह तपाक से बोलती है आज इलेक्शन का रिजल्ट आने वाला है और तुम्हरा तो सारा दिन बकपेली में जाएगा खाने पिने का तो सुध रहेगा नहीं पान चबा चबा के आ उ लल्लनवा के चाय पी के दिन गुजारोगे हमरी करम जला जो तुमसे बिवाह हुआ और ना जाने क्या क्या बोल गयी वह मेरा तो दिमाग काम करना बंद ही कर दिया था
आज तो जैसे राहू मंडरा रहा था हमरी चक्कर घिनिया के ऊपर हम सहमे सहमे बोले नहीं जल्दी आ जाएँगे कोई हारे जीते हमको का लेना देना और हाँ तुमको परेशान होने की जरुरत ना है
भई धर्मपत्नी को सत्य बताना मतलब जिन्दा जबह हो जाना अब आप ही बताइए का हम सच बोल के अपना पिंड दान करवाते! ना ना भई ई हमसे ना हो पाई जिन्दा रहब तो बहुत कुछ….
भई किसकी मजाल की हमसे इलाका में कोई आँखे दिखा के बात करे लेकिन बस एक ही जगह मात खा जाते है कोई उपाय कर लो कुछ होता ही नहीं हम तो हार गए है सबकुछ पा कर के भी हमको लगता है इस जनम में हम से ना हो पाएगा दूसरा जनम के तो हम बातें नहीं करते और तुम सब को भी कह देते है सब काम कर लेना लेकिन ई जिन्दा जबह होने वाला काम ना भाई ना……
खुला सांड ! कितना मजा है………………………आ…हा…………… हा……………………..!!!!!!!
Pingback: व्यंग: नानीजी के मरण दिन नाहीं ऊ त बुढ़ारी के ज़बह दिन होवत
Pingback: जब राज कपूर के लिए सोने की चूड़ियां तक बेच दी थीं नर्गिस