एहसास तुझे भी है मुझे भी
एक आग तुझमें भी है
एक आग मुझमें भी
फिर भी तुम दूर जा बैठी हो
इतनी नाजुक सी हालात में
इसका एहसास तुझे भी है
एहसास मुझे भी
तुम चाहो तो हालात बदल सकता है
भौंरा फूल से पुनः मिल सकता है
ज़रूरत दोनों को एक दूसरे की है
समझती तुम भी हो इस बात को
समझता में भी हूँ हालात को
फिर शिकायत क्यों तुझे भी है
शिकायत क्यों मुझे भी
फिर दरकिनार क्यों कर बैठी हो
अपनी जींदगी को खुद से
जिसकी तकलुफ तुझे भी है
तकलुफ मुझे भी
खो ना दो मुझे शायद
इसी लिए आंखे नम हैं तुम्हारी
क्योंकि खोने का दर्द तुझे भी है
मुझे भी है
एक आग तुझमें भी है
एक आग मुझमें भी
यह भी पढ़ें:
कविता: कतरा कतरा खुन का बह जाने दे
कविता: तेरे प्यार का सुर लेकर संगीत बनाएंगे
ऐसी ही कविता-कहानियों का आनंद लेने के लिए हमसे facebook और twitter पर जुड़े