धारा 370: बिल पेश करते समय अमित शाह के मन में भी था डर
जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35 ‘ए’ हटाये जाने को लेकर आज पहली बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुलकर बात की है. अमित शाह ने कहा कि राज्यसभा में धारा 370 ख़त्म करने वाली बिल पेश करते समय उन्हें डर लग रहा था.
चेन्नई में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की जिंदगी पर लिखी किताब “Listening, Learning and Leading” के विमोचन के दौरान शाह ने कहा कि इस बिल को पेश करते वक्त उनके मन में डर था कि जब वो इस बिल को राज्यसभा में पेश करेंगे तो राज्यसभा चलेगी कैसे?
अमित शाह ने कहा कि बतौर गृह मंत्री उनके मन में कोई शंका नहीं था कि जम्मू-कश्मीर से संविधान का ये प्रावधान खत्म होना चाहिए. शाह ने कहा कि “एक रूप में मैं यकीनी तौर पर यह मानता हूं कि धारा 370 बहुत पहले हट जाना चाहिए था, 370 ख़त्म होने के बाद निश्चित तौर पर कश्मीर से आतंकवाद का खात्मा होगा”
किताब विमोचन के इस कार्यक्रम में शाह ने कहा कि राज्यसभा में हमारे पास पूर्ण बहुमत नहीं है फिर भी हमने ये सोंच लिया था ये बिल पहले राज्यसभा से पास करवाएंगे फिर लोकसभा में लेकर जायेंगे.
शाह ने कहा कि “आंध्र के विभाजन का दृश्य आज भी देश की जनता के सामने है…मुझे मन में थोड़ी आशंका थी कि कहीं ऐसे दृश्य का हिस्सेदार मैं भी तो नहीं बनूंगा…यही भाव के साथ…यही डर के साथ मैं राज्यसभा में खड़ा हुआ…वेंकैया जी की कुशलता का ही परिणाम है कि सभी विपक्ष के मित्रों को सुनते-सुनते इस बिल को डिवीजन तक कहीं भी कोई ऐसा दृश्य खड़ा नहीं हुआ जिसके कारण देश की जनता को ये लगे कि उच्च सदन की गरिमा नीचे आई है.”
गृह मंत्री ने आगे कहा कि “ये विधि का ही विधान है जो बाल वेंकैया नायडू ने 370 के खिलाफ आंदोलन किया था और जब अनुच्छेद 370 हटाने का प्रस्ताव आया तब वेंकैया जी राज्यसभा के चेयरमैन के नाते उसकी अध्यक्षता कर रहे थे.
अमित शाह ने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि एक बार एक कम्युनिस्ट प्रोफेसर ने वेंकैया नायडू से पूछा कि आपने कश्मीर कभी देखा है क्या? कश्मीर नहीं देखा है तो क्यों आंदोलन करते हो? वेंकैया जी ने जवाब दिया कि एक आंख दूसरी आंख को दिखाई नहीं देती, एक आंख में दर्द होता है तो दूसरी आंख को भी तुरंत महसूस होता है.”
आर्टिकल 370 पर बंटा मुलायम परिवार, छोटी बहू अपर्णा बोलीं- ऐतिहासिक फैसला
लेटेस्ट खबरों के लिए हमारे facebook, twitter, instagram और youtube से जुड़े