Menstrual Hygiene Day: आओ बात करें, पीरियड्स होना कोई शर्म की बात नहीं
एक छोटी सी चोट या खरोच कितना दर्द देती है ना! मगर एक औरत को हर महीने असहनीय अवस्था से गुजरना पड़ता है फिर भी सारा काम करती है. ना कोई दर्द समझ सकता है, ना कोई हाथ बटा सकता है, बस अशुद्ध, अपवित्र कहकर सारी चीजों से दूर कर दिया जाता है.
यह अपवित्र लाल ही
इस जग को एक पवित्र लाल देता है
सोना अलग, खाना अलग मानों जैसे एकदम से अछूत गये हो आप. ना जाने कब यह समाज बदलेगा ना जाने कब इस समाज के लोगों की सोच बदलेगी जबकि पता है यदि यह नहीं होता तो शायद इस धरती पर किसी का जन्म ही नहीं होता और शर्म तो तब आती है जब एक औरत ही औरत का दर्द ना समझ कर उसे अछूत बताती है.
धार्मिक स्थलों पर जाना वर्जित कर दिया जाता है यह रक्त की धारा जब हर महीने बहती है तब वह औरत अशुद्ध होती है और यही रक्त की धारा जब किसी को जन्म देने में बहती है तब वही औरत शुद्ध होती है! खैर यदि एक औरत ही औरत की बात ना समझे तो दूसरों से क्या उम्मीद की जा सकती है.
यदि तुम एक छोटी सी खरोंच का दर्द नहीं सह सकते हो
तो तुम उस असहनीय अवस्था में एक औरत को अपवित्र कैसे कह सकते हो
Awareness generation of menstruation and menstrual hygiene is the need of the hour. Let’s ensure women’s health by promoting safe menstrual hygiene practices. #MenstrualHygieneDay #SafePeriods #SwasthaBharat #HealthForAll pic.twitter.com/jwviH0shp2
— Ministry of Health 🇮🇳 #StayHome #StaySafe (@MoHFW_INDIA) May 28, 2020
इस अवस्था में हर महिला को एक प्यार और साथ की सख्त जरूरत होती है जो उसे आरामदेह महसूस कराए ना कि अछूत की तरह बर्ताव करें जिससे वह खुद को औरत और स्त्री होने से कोसने लगती है. अब भी कई लोग महिलाओं का दर्द नहीं समझते हैं और ना जाने आगे भी कब तक यह झूठी प्रथा चलती रहेगी.
- रोहिणी झा
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