कविता: भूले ना अपनी ज़िम्मेदारी तभी थमेगी ये महामारी
करे त्राहि-त्राहि दुनिया सारी,
कारण जिसका एक बीमारी।
सो सबकी जिनको जान प्यारी,
वो न लांघे चारदीवारी।
समय भले ही मुश्किल हो,
पर भूले न अपनी ज़िम्मेदारी।
बंद रहें बस घर के भीतर,
तभी थमेगी ये महामारी।
अभी द्वार सभी हैं बंद परे
गिरजाघर-शिवालयों के,
पर भगवन साक्षात खड़े हैं
पास के चिकित्सालयों में।
आप ध्यान करें भगवान का,
जिसने सब कुछ दिया है,
पर आभार जताएं उनका भी,
जिन्होंने अभी भगवान का रूप लिया है।
कई और हैं जो घर से बाहर डटे परे हैं,
कुछ लट्ठ चला कर मूर्खों को समझा रहें।
और कुछ ऐसे भी हैं जो
जगह जगह से गंदगी को हटा रहे।
वे कर्मयोद्धा लगे परे हैं,
सुख-चैन अपना त्याग कर,
हाथ जोड़ कर बस करें ग़ुज़ारिश,
हे भगवन, अभी तू उन्हीं में वास कर।
- राजीव शेखर
दानापुर, बिहार
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