दाएँ हाथ का कलात्मक बल्लेबाज जिसनें ऑस्ट्रेलिया को हमेशा निशानें पर रखा
15 नवंबर 2001 को भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच कोलकता में टेस्ट मैच शुरू हो रहा था. टॉस जीतकर ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ नें पहले बैटिंग करनें का फैसला किया. मेहमान टीम नें पहली पारी में बनाए 445 रन. जवाब में टीम इंडिया की बल्लेबाजी बुरी तरह चरमरा गई और पूरी टीम 171 रन पर ऑलआउट हो गई. भारत को फॉलोऑन खेलना पड़ा जिसमें एक समय स्कोर 232 रन पर 4 विकेट था. तब क्रीज पर थें वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़. दोनों चट्टान की तरह अड़ गए और पूरे एक दिन तक कोई विकेट हीं नहीं गिरनें दिया.
स्टीव वॉ नें अपनें नौ बॉलरों का यूज किया लेकिन कामयाब कोई नहीं हो पाया. एक तरफ लक्ष्मण नें जहाँ 281 रन बनाया वहीं राहुल द्रविड़ नें 180 रन बनाए. भारतीय टीम नें अपनी दूसरी पारी 657/7 घोषित कर दी. मेहमानों को 383 रनों का लक्ष्य पहाड़ सा नजर आया और पूरी टीम 212 रनों पर लुढ़क गई.
भारत को फॉलोऑन देनें का फैसला ऑस्ट्रेलिया के लिए बुरा सपना साबित हुआ. और जिस खिलाड़ी नें इसे पूरा किया वह हैं वीवीएस लक्ष्मण. इसके बाद हीं हैदराबाद के वेंगिपुरप्पु वेंकटसाईं लक्ष्मण को वेरी वेरी स्पेशल लक्ष्मण कहा जानें लगा. उन्होनें अपनें करियर में ऐसी कई मैच सेविंग पारियाँ खेली जो अधिकतर विपरीत परिस्थितियों में मजबूत टीम के खिलाफ रही. जब भी भारत संकट में होता याद किया जाता टीम के ‘संकटमोचक’ लक्ष्मण को, और वह इसपर हमेशा खड़े भी उतरते थे.
जिस क्रिकेटर को सबसे बड़ा जेंटलमैन कहा जाता है, उसपर 2011 में एक पूर्व इंग्लिश क्रिकेटर नें गंभीर आरोप लगाए. ट्रेंटब्रिज नॉटिंघम में टेस्ट चल रहा था. एंडरसन की गेंद वीवीएस के बैट के बिल्कुल नजदीक से विकेटकीपर के हाथों में चली गई. जोरदार अपील हुई, ना मैदानी अंपायरों नें आउट दिया और ना हीं रिव्यू पर थर्ड अंपायर नें. बाद में आरोप लगाया गया कि लक्ष्मण अपनें बैट में वैसलिन लगाकर खेलते हैं ताकि जब बॉल बल्ले को चूमके जाए तो हॉटस्पॉट में कुछ भी न दिखे. लेकिन बल्ले के बाहरी भाग की जाँच करनें वाली बीसीजी स्पोर्ट्स नें इसे खारिज कर दिया.
‘दाएँ हाथ के कलाकार’ लक्ष्मण की कलात्मक बल्लेबाजी के सभी कायल हैं. अपनें कलाईयों का इस्तेमाल कर गेंद को प्यार से सहलाकर सीमापार पहुँचानें की कला लक्ष्मण में कूट कूट कर भरी थी. 1 नवंबर 1974 को जन्में लक्ष्मण नें अपनें टेस्ट करियर की शुरूआत 20 नवंबर 1996 को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ की. उन्होनें 134 टेस्ट में 46 की औसत से 8781 रन बनाए. वे दुनिया के कुछ चुनिंदा बल्लेबाज है जिन्होनें 100 से ज्यादा टेस्ट खेले लेकिन वनडे वर्ल्डकप में कभी भी अपनें देश का प्रतिनिधित्व नहीं किया. आँकड़े जितना बता रहे हैं, लक्ष्मण उससे बेहतर बल्लेबाज थे.
वे लोअर मीडिल ऑर्डर में अक्सर 5वें या 6ठे नंबर पर खेलते थे. उन्होनें निचले क्रम के साथ मिलकर कई बार भारत को मंजिल तक पहुँचाया. 2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली टेस्ट कौन भूल सकता है जब लक्ष्मण पीठ दर्द से कराह रहे थे. लेकिन फिर भी ईशांत और प्रज्ञान ओझा के साथ मिलकर जीताकर हीं दम लिया. स्लिप और गली के महानतम फिल्डरों में एक लक्ष्मण आजकल स्टार स्पोर्ट्स के लिए कमेंट्री करते हैं. 2012 में अपनें चहेते प्रतिद्वंदी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होने आखिरी टेस्ट खेला. आज वेरी वेरी स्पेशल लक्ष्मण 44 साल के हो गए हैं. हैप्पी बर्थडे लक्ष्मण