बिहार में इस नई व्यवस्था से पंचायतों में भ्रष्टाचार पर कसेगी नकेल
बिहार में ग्राम पंचायत सदस्य अब किसी भी तरह की चालाकी नहीं दिखा पाएँगे. गाँव के मुखिया जी अब अपनी अथाह संपत्ति जमा नहीं कर पाएँगे. सूबे की नितीश कुमार सरकार नें पंचायत स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करनें के लिए एक सराहनीय पहल की है. दरअसल अब तक राज्य में मंत्री, विधायकों और अधिकारियों को अपनी संपत्ति का ब्योरा देना पड़ता है.
अब ग्राम पंचायत में मुखिया और अन्य पदों पर बैठे लोगों को भी अपनी संपत्ति का ब्योरा देना होगा. इस बाबत बिहार के पंचायती राज सचिव अमृतलाल मीणा नें सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर इस योजना को अमल में लानें का निर्देश दिया है. हर वर्ष 31 दिसंबर तक हर हाल में संपत्ति का ब्योरा देना अनिवार्य होगा. इसके अंतर्गत ग्राम पंचायत के मुखिया, उपमुखिया, प्रखंड प्रमुख, प्रखंड उपप्रमुख, जिला परिषद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को रखा गया है.
इसे जनवरी से लागू किया जाएगा. ऐसे में 31 दिसंबर 2019 तक सभी को अपनी संपत्ति का लेखा जोखा सरकार को सौंपना होगा. आगे चलकर इसमें वार्ड और जिला परिषद सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा. इन्हे हर साल अपनी चल और अचल संपत्ति का पूरा डाटा डीएम को देना होगा जो इसे जिले की वेबसाइट पर अपलोड करेंगे. दरअसल ग्राम पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार और अनियमितता इस कदर हावी है कि लोगों तक योजनाओं का लाभ पहुँचनें से पहले हीं जनप्रतिनिधियों की जेब भर जाती है.
ऐसे में यह योजना भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए कारगर होगा. पहले जो भी योजना सरकार लती थी वो आम लोगों तक पहुँचते पहुँचते रस्ते में ही अधिकारीयों के जेब की सोभा बढ़ने लगता था लेकिन इस योजना के बाद उन योजनाओं का मकसद पूरा होगा जो क्रप्ट अधिकारीयों के कारण नहीं हो पता था. राज्य के 18 हजार ग्रामपंचायत प्रतिनिधियों पर यह व्यवस्था लागू होगी.